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चार युग और चारों युगों के संत

1.सतयुग 2.त्रेता युग3.द्वापर युग4.कलियुग



                                              सतयुग में आदि धर्म के संत



भारतवर्ष में महापुरुष हुए हैं जिनकी प्रेरणा पूरा संसार करता है सारे संसार को चलाने वाले महापुरुषों से संत से संसार की वृद्धि हुई है इस संसार में सबसे पहले एक महापुरुष संत हुए जिन्होंने संसार को संत की प्रेरणा प्रथम बार संत शिरोमणि संत चक्रवर्ती महान सत्य पुरुष राजा हुए हैं देव दानव जीव जंतु पशु आदि सभी को एक रास्ता दर्शा सभी को एक प्रेरणा दी इन्हीं के राज्य में शिवा नाम के सेनापति थे जो बहुत ही शक्तिशाली विद्वान थे उनको पहाड़ी एरिया की ओर सुरक्षा के लिए रखा गया और कहा हर प्रकार से तुमको यहां पर प्रचार व्याधि धर्म के साथ पुरुष और शत्रु मार्गदर्शन कराना है इसी प्रकार से सभी महापुरुषों को शिरोमणि संत महाराज सत्य पुरुष


जी आदि धर्म के लिए प्रचार पर लगा दिया सत्यपुरुष  जी के राज्य में शांति और खुशी का वातावरण रहता था सत्य पुरुष इस  संसार को चलाने के प्रथम संत है आजकल लोग भगवान को पाने के लिए भजन कर रहे हैं परंतु किसी को नहीं मिले जिनके बारे में भी सुनना चाहता है उन्हें भगवान मिले उन्होंने जिनका अब नाम है परंतु इस बात पर कोई ध्यान नहीं देता कि उनको ज्ञान हुआ है मैं स्वयं को समझ गए माया मोह अपने पराए भी उनको परख हुई तभी उनको आज महापुरुष कहा जाता है अग्रसर पर कोई है तभी हमें सत्य की प्राप्ति होगी कल करना तो आज कर आज करना तो कर अब पल में प्रलय होता है फिर करेगा कब महापुरुषों ने कहा है समय को व्यर्थ  मत करो आदि धर्म के प्रथम शिक्षा संत शिरोमणि सत्य पुरुष जीने दे और कई सौ  वर्ष तक प्रचार किया आदि धर्म चलता रहा आदि धर्म का प्रचार व सत्य पुरुष मिशन पूर्ण संसार में रहा  और फिर त्रेता में भी इसी मिशन का प्रचार हुआ जब अधर्म का प्रवेश होना प्रारंभ हुआ तो सत्य पुरुष की मिशन के  संत का तेज सारे संसार में फैला हुआ था इसी राज्य में आर्य नाम की एक शाखा तैयार हुई जिसमें षड्यंत्र रचा गया और  शिवा नाम के सेनापति संघ की तस्वीर बनाकर उसकी कीर्ति का वर्णन करने लगे काफी समय तक शिवा की ओड  मैं आर्य प्रचार करने लगे  जब सिवा कोई सत्य का पता चला तो वह क्रोधित हुए ,और बोले हमारी बनाई बात को मिटा रहे हो तब उन्होंने कहा महाराज आप ही की वीर को तस्वीर को प्रत्यक्ष मानकर हम गुरु ही परमात्मा है कहते हैं सतगुरु हम आप को ही अपना भगवान मानते हैं आपकी पूजा करेंगे षड्यंत्र इतना गहरा था किइस षड्यंत्र में शिवा फस गये  फिर इन्होंने संत व सतगुरु को लुप्त कर दिया और भगवान ईश्वर परमात्मा का नाम दिया फिर इन्होंने संत व सतगुरु को लुप्त कर दिया और भगवान ईश्वर परमात्मा का नाम दिया और अपना धर्म हिंदू धर्म बताया वह बनाया त्रेता  युग का प्रवेश हुआ संत शिरोमणि सप्त ऋषि चक्रवर्ती महापुरुष हुए जिनको चकवा बैन के नाम से भी जाना जाता है त्रेता  में सप्त ऋषि जी ने धर्म का प्रचार किया /
 
 त्रेता युग में आदि धर्म के संत त्रेता युग में सप्त ऋषि महाराज ने संसार मैं आदि धर्म के लिए प्रकट हुए थे जिन्होंने आदि धर्म का प्रचार  को नया प्रकाश दिया जिनके कारण संसार में कृषि विज्ञान का विज्ञान और विज्ञापन किया जिसे कहते हैं कि मनुष्य अपने शरीर को छोड़कर भंवर इच्छा अनुसार जा सकता है शरीर के बारे में प्रथम बार खोज की संत शिरोमणि संत सप्त  ऋषि जी ने ही की थी जिनको ज्ञान हुआ और उन्हें त्रेता युग में सतगुरु की शरण ली और सभी को आदि धर्म का ज्ञान दर्शाया जिन्होंने उनकी बात बताई और बातों पर ध्यान दिया उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ इस ज्ञान को सिर्फ जिज्ञासु ही प्राप्त कर सकते हैं संत संसार में रहकर भी संसार से अलग होते हैं विषय वासनाओं से अलग होते हैं उन्होंने सिर्फ ज्ञान प्राप्त की इच्छा होती है अगर संसार में रहते हैं तो संसार को मार्ग  दर्शाते हैं और मोह माया से पूरे संसार को सत्य का मार्ग दर्शाते हैं अगर उन पर माया है तो मैं उन्हें पुरुषार्थ में लगाते हैं फुर्सत में ही उन्हें अमर कर देते हैं जिनके नाम संसार में रह जाते हैं उनके मन में शांति होती है इसी को मोक्ष कहते हैं यह सब बातें संत शिरोमणि संत अनुभव करता है इस समय में भी धर्म का प्रचार चल रहा था इस समय हमारे धर्म का पूर्ण नाम था आदि सूर्यवंशी धर्म धर्म का ध्वज फैला हुआ था आदि सूर्यवंशी धर्म के अंतिम समय चक्रवर्ती राजा महाराजा महाराजा मचुकन  हुए हैं इनके राज्य में 3 भाग धर्म के हो गए थे प्रथम आदि सूर्यवंशी धर्म दूसरा यहूदी  धर्म तीसरा आर्य हिंदू धर्म अर्थात सनातन यह दो धर्म आदि धर्म से ही अलग हुए थे हिंदू या मुस्लिम आपस में छूट बढ़ाई को मानकर फस गए फिर दोनों धर्मों में एक दूसरे को आराम हराम माल देना आरंभ कर दिया ऐब पैदा कर दिए गए इस तरह आदि धर्म को  बड़ी क्षति हुई और आदि धर्म लोगों  मैं आदि धर्म के कड़े नियम और अनुशासन के होते हुए लोगों ने आदि धर्म को मानना  बंद वंद सा ही कर दिया  दिया था इसी प्रकार संसार में अनेकों धर्म बन गए और आदि धर्म केेेे प्रचार के  के लिए संत आते रहे और धर्म केेे प्रचार को जागृत रखा इसी प्रकार मनुष्य अधिकतर अंधकार में रहे सत्य  काम कम और  असत्य ज्यादा  हो गया इसी पश्चात द्वापर युग का आरंभ हुआ।
द्वापर युग में आदि धर्म के संत
 द्वापर युग में फिर एक संत ने जन्म लिया जिनका नाम संत शिरोमणि संत चैता दास जी  हुए जिन्होंनेइस संसार को इतना दिया कि यह संसार आज तक उनका ऋणी  अगर चेता दास जी नहीं आते तो संसार से सत्य ज्ञान नष्ट हो जाता और परमपिता की प्राकृतिक भी नष्ट हो जाती 
 गोकुल के निवासी नंद जो सतगुरु चैता दास जी के सेवक थे इनके पुत्र श्रीकृष्ण को सतगुरु चेता दास जी ने ही अपना शिष्य स्वीकार किया था और आत्म ज्ञान कराया क्योंकि श्रीकृष्ण इन के प्रथम शिष्य थे श्रीकृष्ण ने आज भी  द्रुपद की पुत्री द्रोपती सतगुरु चैता दास जी की शिष्य थी श्री कृष्ण यादव  कुल से थे और द्रोपती ब्राह्मण कुल से थी और सतगुरु चेतन दास जी आदि  धर्म से थे उस समय आदि धर्म में जितने संत हुए हैं उनसे घिर्णा करते थे इसके पास बैठना तो अलग आगे को गुजर ना भी सही नहीं माना जाता था ऐसे  समय मैं सतगुरु चेता दास जी ने जन्म लिया परंतु संत सभी के होते हैं चेता  दास जी ने प्रचार किया इनके ज्ञान को  सभी ने प्राप्त किया सतगुरु चेता  दास जी ने अपने शिष्य श्री कृष्ण एक विद्वान थे जिन्होंने सतगुरु चेता दास जी के ज्ञान को  संसार में दर्शाया परंतु मनुवाद ने इसके उपदेशों को उल्टा ही इतिहास बना दिया उन्होंने सिर्फ विष्णु  को ही भगवान है परमात्माके नाम और कला को बदल दिया कीर्तन रूप में स्थापित किए जिसमें संतों की बातें काट कर तैयार किया गया ।
कलयुग में आदि  धर्म के संत आज से 14 सो ईसवी के  की बात है इसी युग में गरीब इंसानों को  भक्ति के बीच में पीसना पढ़ रहा था इसी युग में इसी बीच 14 सो ईसवी का लगभग चमार जाति के राहु पिता चमार  के घर संत शिरोमणि रविदास जी महाराज का जन्म व भारत के राज्य उत्तर प्रदेश में काशी जी के निकट मांडूऱ  श्रीगोवर्धनपुर  मैं जन्म लिया गुरु रविदास जी के जीवन पर विद्वानों का अपना अलग अलग मत है और  संत शिरोमणि रविदास जी महाराज के नाम को आप सभी भली भांति  जानते हे |  उनके इस प्रचार को आगे तक ले जायेंगे अगले एपिसोड में। जबतक के लिए सभी धर्म प्रेमियो को सतनाम जी। अभयदास जी देओबंद से 
यह सब डेटा हमने अलग अलग पुस्तकों से इकठा किया हे यह सब माया जाल हे इसमें कोई भी फस सकता हे 
                                                               अभय दास जी 


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Thnks, all