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बुधवार, 28 अप्रैल 2021

साहेब कांशी राम जी

मेरा समाज निचोड़ कर फेंके नींबू के छिलके की तरह है- साहेब कांशी राम 



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पम्मी लालोमज़ारा (बंगा, नवांशहर) बात है 1991 की. लोकसभा के चुनावों के दौरान कुमारी मायावती को एक एस.पी. के थप्पड़ मारने के बदले में उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने पोटा कानून लगाकर इलाहबाद की नैनी केन्द्रीय जेल में बंद कर दिया था. पंजाब के हरभजन सिंह लाखा भी उनके साथ ही जेल में बंद थे. कार्यकर्ताओं में मायूसी का आलम था. मायूसी के इस आलम को दूर करने के लिए साहेब ने दिल्ली में एक जागरूकता रैली का आयोजन किया. रैली के बाद कुछ कार्यकर्ता कंपनी बाग़ में रुक गए और साहेब उनके बीचोबीच बैठ गए. साहेब ने एक बिशन सिंह नाम के कार्यकर्ता को देखकर कहा ‘तुम्हें देखकर मुझे अपनी माँ (बिशन कौर) की याद आ जाती है.’ बिशन सिंह साहेब को कुछ कहना चाहता था तो साहेब ने ये बात भांप कर उसे पूछा, ‘क्या कहना चाहते हो? कहो!’ बिशन सिंह ने कहना शुरू किया, ‘साहेब जी, आप दिन रात इतनी मेहनत करते हो. लेकिन अपने समाज की बात आगे नहीं बढ़ रही. क्यों?’


साहेब ने पास में बैठे जय सिंह निगम को एक विक्रेता की और इशारा करते हुए कहा, ‘वो जो नींबू पानी बेचता है, उससे एक निचोड़े हुए नींबू का छिलका उठा के ला.’ साहेब ने जय सिंघ से वह नींबू का छिलका लेकर अपनी हथेली पर रख लिया और ऊपर से थोड़ा सा पानी डाला. फिर उसे मसला और और दो-तीन कार्यकर्ताओं के दो-चार बूँदें निचोड़ कर पूछा कि बताओ, इसमें किस चीज़ का स्वाद आ रहा है? सबने अपना एक मत जताते हुए कहा, ‘नींबू का स्वाद!’


साहेब ने थोड़ा आश्चर्य जताते हुए सवाल किया, ‘ये तो नींबू का छिलका था, इसमें तो जरा भी रस नहीं था. फिर इसमें नींबू का स्वाद भला कहाँ से आ गया?’


साहेब की बात पर सभी चुप रह गए. कोई कुछ न बोला. साहेब ने सबकी और देखा और बोलना शुरू किया, ‘अपना समाज भी दरअसल निचुड़े-सूखे नींबू की तरह है. इसपर आप थोड़ा सा पानी डालो, यानि सोये हुए समाज को जगाने की कोशिश करो, इसका स्वाद नींबू वाला ही आता है यानि समाज बहुजन समाज बन जाता है. मैं इस काम में दिन रात लगा हुआ हूँ. लेकिन हमारा समाज बहुत बड़ा है और उसे जगाने वाले लोग कम हैं. इसलिए मेरे समाज के लोगों को समझने में देर लग रही है.


( मैं कांशीराम बोल रहा हूं "किताब लेने के लिए संपर्क करें  9501143755 लेखक पंमी लाल़ो मजारा, बंगा-नवांशहर , पंजाब। )