अखिल भारतीय रविदास मिशन रजिस्टर्ड गद्दी उर्ण शुक्रताल धाम
Part 1st
हमारे देश भारत वर्ष में बहुत बड़े बड़े महापुरुष हुए हैं जो संसार में अपना नाम चमका गए और आज संसार उनका गुणगान करता है आज के समय में आपके बीच युगपुरुष जीती जागती तस्वीर सतगुरु समनदास जी महाराज जो गांव लाख में जन्म लेकर पूरे भारत में अपना नाम किया और जनमानस को सतगुरु रविदास जी और आदि धर्म का प्रचार करके सब को जगाने का प्रयास किया और करोड़ों लोगों को जगा कर इस धरती से अंडा मांस मदिरा का सेवन ना करने के लिए सब को बाध्य किया बंधन में डालकर सबसे वचन लेकर सभी से उससे दूर रहने के लिए कहा और किसी भी देवी देवताओं को पूजने और ना मानने के लिए विशेष तौर से जोर दिया गया जिसने समाज में हमेशा आदि धर्म के लोगों पर अत्याचार किया है उन्हीं देवी देवी देवताओं के चक्कर में आकर हम आज तक औरों के गुलाम रहे हैं इसी तरह सतगुरु समनदास जी महाराज ने पाखंडवाद को मिटाकर एक वैज्ञानिक मिशन देकर हम सबको समझाया सतगुरु स्वामी समनदास जी महाराज का संसारी जन्म 1920 को भादो की पूर्णिमा को हुआ था गांव लाख जिला मुजफ्फरनगर शामली उत्तर प्रदेश में इनका बचपन का नाम हुकुमचंद था पिता का नाम श्री फूल सिंह व माता का नाम लक्ष्मी जी था यह लाख में अपना सारा जीवन निर्वाह कर रहे थे चमार जाति में इनका जन्म हुआ और 100 साल पहले के हालात चमारों का हाल के लिए इतिहास गवाह है कैसे रहते थे | हुकुमचंद जी अपने माता-पिता के साथ खेतों में काम करते थे काश्तकार के खेतों में काम कराते और धूप का सामना करते हुए अपना जीवन निर्वाह किया करते थे बताते हैं कि जिस समय हुकुमचंद जी ( सतगुरु समनदास जी महाराज ) की अवस्था 10 या 11 वर्ष की थी तब खेत में एक पेड़ के नीचे दोपहर में बैठे हुए थे उन्हें उस समय संसार की वस्तुओं से कोई दिलचस्पी नहीं थी छोटी सी अवस्था में उनके पिता फूल सिंह जी ने जो एक किसान के यहां लगे हुए थे वह किसी काम से घर आ गए और उन्होंने हुकुमचंद को कहा कि भाई तुम जाओ और वहां पर अरहठ चल रहा है उस हर्ट में जो बैल लगे हुए हैं तुम उन को दौड़ आते रहना ताकि वह रुक ना सके इस तरह हुकुमचंद जी वहां से उन बैलों को हांकने लगे कुछ समय बीत गया और सर पर सूरज चल गया एक 1:30 बज रहा था उस समय एक आकाश में से एक तख्त आया और उस तख्त पर एक युगपुरुष का रूप लिए हुए और गुरु के वस्त्र धारण किए तख्त पर बैठे हुए जमीन पर आए और उनके काले लंबे बाल जो जमीन पर लटक रहे थे ऊपर से घने बाल उन्होंने आ कर हुकुमचंद को कहा कि हुकमचंद हमने आपको इस दुनिया में प्रचार करने के लिए भेजा और आप यहां किसान के यहां नौकर लगकर अपना समय बर्बाद कर रहे हो ( समनदास जी महाराज } अर्थ हुकम चंद जी ने उन महान पुरुष की ओर देखते हुए कुछ नहीं बोले बस एक टका देखते रहे क्योंकि वह बाल्यावस्था थी उस वक्त वह इतने बातें समझ नहीं पाए उन महापुरुष ने हुकुमचंद जी से कहा कि तुम मुझे पानी पिलाओ हुकम चंद जी दौड़कर जहां पानी चल रहा था आहर्ट चल रहा था कुए पर वहां से उन्होंने एक घडा उठाकर और पानी भर कर उन महापुरुष को पिलाया और उन महापुरुष ने पानी पीकर चारों ओर देखा तो वहां पर नजदीक ही एक दिनु नाम का मुसलमान का लड़का वह भी 12 या 13 साल की अवस्था का पूमा बिरादरी से और दो झींवर बिरादरी की लड़की भी वहां पर काम कर रही थी दूसरे के खेत में इस बात को देखकर क्यों हुकमचंद के सामने एक तखत आ गया कहीं से और वह उनके साथ बात कर रहा है उनको पास में आकर देखते देखते हैं और मैं महापुरुष जो जो खत गुरु रविदास जी का रूप धारण करके स्वयं धरती पर अवतरित हुए और हुकुमचंद जी को उपदेश दिया कि तुम इस संसार में गुरु रविदास जी का प्रचार करो और इन कुरीतियों से इन आडंबर उसे इस समाज को बचाओ जिस समाज पर सदियों से अत्याचार हो रहा है बराबर में खड़े दीनू नाम का लड़का कहने लगे महाराज जी कुछ हमें भी दे दो हमारा भी भला हो जाएगा मेरे मां-बाप ने मुझे यहां नौकर लगा रखा तब महाराज जी बात कहते हैं कि तुम्हारा जीवन बहुत अच्छे तरीके से कटेगा और तुम जिस भी आदमी को झाड़ दोगे वह आदमी ठीक हो जाएगा और तुम्हारी शादी तो होगी पर बच्चे नहीं होंगे उसका पूरा जीवन बहुत अच्छे तरीके से कटा है इसी तरह में जो दो लड़की थी व कि महाराज जी ने बता इस लड़की का शादी होगी और सारी ऊम्र में परेशान है और दूसरी लड़की इस गांव में जाएगी यह हमेशा खुश रहेगी और समन दास जी महाराज उनकी ओर एक टका देख रहे थे तब गुरु रविदास जी कहते हैं कि हुकुमचंद अपने मुंह पर हाथ पैरों और घर जाकर एक धुना लगाओ तुम जहां भी हमें पुकारोगे हम वहां मौजूद होंगे तुम जो भी करना चाहोगे वही होगा इस तरह हुकुमचंद जी घर आ जाते हैं और बिल्कुल गुम हो जाते हैं सभी कहने लगते हे की भरी दोपहरी में हुकुमचंद को जंगल में नहीं जाना चाहिए था ना रहना चाहिए था इसको कुछ चिपट गया है उनके बड़े भाई रामचंद्र जी एक झाड़ फूंक करने वाले ओझा को लेकर आते हैं और महाराज जी के ऊपर महाराज जी एक कपड़े की चादर लपेट कर बैठे थे और दोनों हाथ बंद कर रखे थे ओझा ने जैसे ही महाराज जी की और झाड़ू उठाई और उनको झाड़ने कोशिश की दोनों हाथों से झाड़ू पकड़ रखी थी मगर वह दोनों हाथ खोला नहीं पाए और उनके हाथ मानो ऐसे लग रहे थे जैसे चिपका दिए गए हो दोनों हाथ एक एक दूसरे हाथ से छूटा नहीं पाए जब ओझा को लगा कि मानो मुझसे कुछ गलती हो गई है तब वह रोने लगे और चिल्लाने लगे कि मेरे हाथ खोलो मेरा हाथ खोलो तब हुकम चंद जी ने ओझा के कान में कहा कि तुम बहुत बहकाते हो लोगों को आइंदा मत बहकाना तब ओझा महाराज जी से क्षमा मांगते हैं और चले जाते हैं इस तरह महाराज हुकम चंद जी अर्थ ( समनदास जी महाराज )का परिचय पूरा गांव और पूरे इलाके में फैल जाता है इसी तरह लाख गांव का अंधा जाट को पता लगता है कि फूल सिंह के यहां हुकुमचंद को कोई आलौकिक शक्ति प्राप्त हो गई है और वह लोगों को ठीक कर रहा है जो भी महाराज जी के पास में अपनी समस्या लेकर जाते उनकी समस्या का निवारण महाराज समनदास जी चुटकियों में कर देते हैं इसी तरह जाट समनदास जी महाराज के पास गोसे से लेकर आते हैं उपले और कहते हैं कि मेरे भी उपले अपने धुने में लगाओ तब हुकुमचंद जी कहते हैं कि आप खुद लगाओ वह अंधा जाट धुने में अपने उपले लगाते हैं और महाराज जी से कहते हैं कि मुझे पता लगा है कि आपको कुछ शक्ति प्राप्त हो गई है कुछ हमारा भी भला कर दो तब हुकुमचंद कहते हैं कि जो उपले आपने लगाए उनकी राख बन गई है और वह राख उठाकर हुकम चंद जी उस जाट की आंखों पर लगा देते हैं और जाट की आंखों की रोशनी आ जाती है इस तरह जाट की आंखों की रोशनी आ जाती है और जाट वहां से जाने लगते हैं तब वह रास्ते में जा रहे थे खुशी से खुशी से तब गांव वालों ने पूछा कि भाई ऑपरेशन कराया कुछ और तुम्हारी आंख कैसे ठीक हो गई तब उन्होंने बताया कि फूल सिंह चमार के यहां गया था उसका लड़का तपस्या कर रहा है उसने किया वह घर चले जाते हैं रात को फिर उनके आंखें खराब हो जाती है सुबह फिर आते हैं और हुकुमचंद जी से ऐसा कहते हैं कि भाई यह जादू टोना मत करो इन को ठीक करना तो पूरी तरीके से ठीक करो
बहुत अच्छा काम किया सर गुरु जी की जीवनी लिख कर समाज में संदेश जाएगा ,गुरु समनदास जी महाराज का 👏👏👏💐💐👏👏💐💐👏👏
जवाब देंहटाएंthenkas
हटाएं👏👏👏👏
हटाएंआप लोगों का धन्यवाद जो आपने सतगुरु समनदास जी महाराज के जीवन परिचय मैं अपने रुचि रखी हम आगे भी इसी तरह सतगुरु समनदास जी महाराज के जीवन पर हर हफ्ते एक नया ब्लॉग लिखते रहेंगे66
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सर जी जो हम लोगों सतगुरु समनदास जी महाराज के जीवन से परिचय कराया
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
JAi guru dev ji
जवाब देंहटाएंSatnam Satguru
जवाब देंहटाएंBahut Bahut Dhanywaad Bhai Sahab
जवाब देंहटाएंThenks'
हटाएं🙏🏻🙏🏻🌺🌺🌷🌻🙏🏻🙏🏻🌺💐🌷🌻अखिँल भारतीय सतगुरू स्वामी समनदास जी महाराज जी गुरू गद्दी शुक्रताल मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश 251316 🙏🏻🙏🏻🌺🌺🌷🌻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌺💐🌷🌻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
जवाब देंहटाएंसतनाम सत साहेब गुरु जी
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